बहता पानी और सफेद संगमरमर - बंदर कुदनी



साल 2001 में शाहरुख खान और करीना कपूर की एक फिल्म आयी थी, अशोका। भारत के सबसे सफल राजाओं में शुमार अशोक पर फिल्म कर शाहरुख अपने आप को अच्छे अभिनेता की श्रेणी में लाना चाहते थे। बाकी अपने दौर के सबसे सफल स्टार तो वो थे ही। खैर अच्छी खासी फिल्म बनने के बावजूद अशोका बाक्स आफिस पर कुछ खास कमाल न कर सकी। इसी अशोका में एक बेहद लोकप्रिय गाना था, गाने के बोल थे रात का नशा अभी आंख से गया नहीं। गाने से ज्यादा खूबसूरत इस गाने की लोकेशन है। भारत के मध्य में स्थित मध्य प्रदेश के जबलपुर से 20 किमी दूरी पर है भेड़ाघाट जहाँ नर्मदा नदी ने एक तरफ गहरी घाटी बना रखी है तो दूसरी तरफ चमकते सफेद पत्थरों की घाटी जिनके बीच से नर्मदा शांत भाव से बह रही है। ये जगह मार्बल राक के नाम से प्रसिद्ध है।

कभी ये घाटी बेहद सकरी हुआ करती थी, इतनी सकरी कि बंदर एक तरफ से दूसरी तरफ छलांग लगा लेते थे। बंदरों की इसी छंलागबाजी को  देखकर इस जगह का नाम बंदर कुदनी पड़ गया था। फिर समय के साथ घाटी के दोनों पाटों के बीच की जगह बढ़ती गयी और बढ़ती जगह के चलते बंदरों का आरपार कूदना मुश्किल हो गया। जगह बढ़ने के साथ सफेद संगमरमर की सफेदी और खिलकर दिखने लगी जिससे जगह का नाम बंदर कुदनी के बजाय मार्बल राक प्रचलित हो चला। 

जबलपुर की प्रयागराज से दूरी 400 किमी से भी कम है और मुंबई के रेलमार्ग पर होने के चलते कनेक्टिविटी बेहतरीन है। इस सबके बावजूद आजतक जबलपुर जाना न हुआ था। खैर दीवाली के बाद इस बार जबलपुर जाना हो ही गया। सोमवार से शनिवार तक आफिस के काम के अलावा जबलपुर के खाने का भरपूर लुफ्त उठाया गया और भेड़ाघाट जाने का कार्यक्रम टलता रहा। अब रविवार दोपहर मुझे जबलपुर से निकलना था तो टालने के विकल्प की अनुपलब्धता के चलते रविवार सुबह 8: 30 बजे मैं अपने होटल से भेड़ाघाट के लिये निकला। होटल से बस स्टैंड नजदीक ही था तो वहाँ से भेड़ाघाट की लोकल बस पकड़ ली जिसने मात्र 25 रुपये लेकर घंटे भर में मुझे भेड़ाघाट पहुंचा दिया। टैक्सी से इसी दूरी के शायद 40 मिनट लगते और खर्चा 20 गुना बढ़ जाता। 

भेड़ाघाट पहुंचने पर मार्बल राक देखने के लिये बोटिंग करना जरूरी है, बिना बोटिंग के आप सिर्फ नर्मदा देखकर वापस आ जायेंगे। घाट के किनारे पर ही लोहे का बना एक टिकट काउंटर रखा है जहाँ से नियमानुसार बोटिंग का टिकट लेना है। टिकट का मूल्य 50 रुपये है। खैर मैंने जब टिकट कांउटर पर टिकट मांगा तो उसने बिना टिकट के ही एक नाव वाले से मुझे ले जाने को कहा। उसकी नाव में 6-8 लड़के बैठे थे जो मेरे नाव में बैठते ही उठ गये, पता चला वो सारे नाव वाले ही थे। अब पूरी नाव पर मैं अकेले हो गया और नाव तभी चलनी थी जब 15 लोग नाव में भर जाये। 5-10 मिनट बीतने के बाद भी नाव पर मैं अकेला था जबकि बगल की नावों पर कुछ कुछ लोग बैठ रहे थे। खैर मैंने उस नाव से उठने में ही भलाई समझी और एक लगभग भरती हुई नाव में जाकर बैठ गया। इस बार किराया 50 से बढ़कर 100 हो गया, मैं पिछली नाव न चलने का कारण समझ चुका था। 

खैर भरी हुई नाव और भरी फिर चली और साथ ही चली एक जबरदस्त कमेंट्री जो सिद्धू और अनुभव मलिक दोनों के वन-टू लाइनर से बेहतर थी। कमेंट्री के दौरान लड़के ने मार्बल राक में शूट हुई सारी फिल्मों और हीरोइनों के नाम बता दिये। उसी से मुझे पता चला कि अशोका फिल्म का गाना यहीं फिल्माया गया है। बाद में गाने का वीडियो यूट्यूब पर देखकर और भी अच्छा लगता रहा था। 

नाव जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी पत्थरों की सफेदी और चमक बढ़ती जा रही थी। हर बार फोटो लेने के बाद जब लगता ये सबसे बेहतर आयी है तो थोड़ा आगे बढ़ते ही ये भ्रम टूट जाता। बीच में नाव पहुंचने पर ऊपर चोटी पर 12-15 साल के कुछ बच्चे चड्डी पहने खड़े थे जो 50 रुपये के लिये ऊपर से नीचे छलांग लगाते हैं। आखिर प्रशासन ऐसी चीजों पर रोक लगाने के लिये किसी दुर्घटना का इंतजार क्यों कर रहा। काम भर का घूमने के बाद मैं ये कह सकता हूँ कि इस जैसी दूसरी जगह कम से कम भारत में नहीं होगी जहाँ आपको बीच में बहती नदी और दोनों तरफ सफेद संगमरमर का ऐसा संगम मिलेगा। मेरे ख्याल से गंगा के बाद किसी नदी को उस क्षेत्र के लोग माँ का दर्जा देते हैं तो वो नर्मदा ही है। नाव में बैठी महाराष्ट्र से आयी एक सहयात्री की बाटल से मैंने नर्मदा का बेहद साफ जल भरा जो सभी ने पिया। पानी का स्वाद RO के पानी से बेहद मीठा था। जाते वक्त जहाँ नाव को लगभग 35 मिनट लगे वही वापसी बमुश्किल 20 मिनट में हो गई। सरकार/प्रशासन को इस स्थान के रखरखाव पर और ध्यान देने की जरूरत है। 
हर नर्मदे 

Comments

  1. सम्पूर्ण भेडाघाट आँखो के सामने दृश्या दिया..अति सुंदर लेखनी

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  2. आनंद जी ! में बचपन से आज तक 100 बार जबलपुर गया हूँ और लगभग 15, 20 बार भेड़ाघाट, मार्बल रॉक देखने घूमने गया परंतु ऐसा सुंदर शाब्दिक चित्रण करने की क्षमता आज भी मुझमे नही है। बैंक के नीरस कार्यों से समय निकाल कर ऐसे रमणीय स्थल पर अपना समय व्यतीत कर , वास्तव में तुम जीवन को सार्थक कर रहे हो।

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  3. Bahot hi ache tareeke se pesh karte hai sir aap .. jagah khubsurti ko poora btate hai .. lagta hai jabalpur jaldi jana padega..

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