कोयले की हवा वाला शहर
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण और सांस न ले सकने वाली हवा की चर्चा लगभग हर दो चार महीने में देशभर में टीवी पेपर से लेकर आम जनता के बीच हो ही जाती है, विशेष रूप से सर्दियों के समय हरियाणा के किसानों द्धारा खेतों में पुवाल जलाने के चलते दिल्ली हरियाणा सरकार में वार्षिक झाय झाय जरूर हो जाती है। वैसे भी शुद्ध हवा, शुद्ध पानी किसी भी सरकार के एजेंडे में ही नहीं है, और हो भी क्यों इस देश की जनता को शुद्ध हवा और शुद्ध पानी न मिलने पर सरकार से कोई शिकायत भी नहीं। अपने अपने घर में आरओ लगाकर शुद्ध पानी और एयर पयूरिफायर लगाकर हम संतुष्ट हो जाते हैं। कितना अजीब है जो चीज प्रकृति ने बिल्कुल मुफ्त में दी उसे भी बाजार हमें खरीदने पर मजबूर कर रहा है और आम आदमी बाजार को मजबूत करके खुश हो रहा। राजधानी होने की वजह से कम से कम दिल्ली के प्रदूषण की चर्चा तो होती है पर दिल्ली से हजार किमी दूर कोरबा की हवा में फैले प्रदूषण की चर्चा करने की जरूरत भी देश को महसूस नहीं होती। कोरबा जहाँ भारत ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान है, कोरबा जो भारत की पावर ( बिजली वाला) कैपिटल कहलाता है। कोरबा ज