लोकशाही के दौरान राजा का बनवाया बांध







बचपन में किसी किताब में पढ़ा था कि भारत की आजादी के बाद प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का सबसे ज्यादा जोर नदियों पर बांध बनाने पर था वो इनको आधुनिक भारत का मंदिर कहते थे। भारत में बाढ़ और सूखे की समस्या पहले भी थी और आज भी है। आजादी के बाद बड़े बड़े बांध ही इस समस्या से निपटने के उपाय माने गये। जनता द्धारा चुनी हुई सरकार का जनता के लिये काम करना सामान्य है पर अंग्रेजों से आजादी के बाद भी एक राजा ऐसा था जिसने अपनी प्रजा के लिये पचास के दशक में दो करोड़ से भी अधिक खर्च कर मरुस्थल से निकल कर एक विशाल बांध का निर्माण कराया। 

मारवाड़ (जोधपुर) के राजा उम्मेद सिंह ने जोधपुर शहर की पानी की समस्या समाप्त करने के उद्देश्य से नजदीकी पाली जिले के सुमेरपुर तहसील में जवाई नदी पर एक बांध का निर्माण कराया जिसे लोग जवाई बांध के नाम से जानते हैं। 


पाली जिले में मेरा जाना मई के महीने में हुआ था तो आदतन आसपास घूमने की जगह गूगल चाचा के माध्यम से देखने पर जवाई बांध का भी जिक्र आया जो जिला मुख्यालय से लगभग नब्बे किमी दूरी पर था फिर शाखा प्रबंधक ने गर्मी का हवाला देते हुए और कम पानी होने की आशंका जाहिर करते हुये प्रोग्राम कैन्सल करा दिया।

फिर चार महीने बाद ही सितंबर महीने आडिट के लिये मुझे सुमेरपुर जाना हुआ। अब मौका भी था और दस्तूर भी, महीना बारिश के बाद का यानि बांध के भरे होने की पूरी संम्भावना और हम पहुँच गये थे जवाई बांध से नजदीकी स्थान पर। 
पहले ही दिन शाखा में पहुंचकर जवाई बांध के बारे में जानकारी ली तो शाखा प्रबंधक ने तुरंत ही कहा चलिये घंटे भर में होकर वापस आते हैं। सुमेरपुर से जवाई बांध की दूरी दस किमी के लगभग होगी। 


जवाई बांध पहुंचने पर बांध के गेट लंगूरों की पूरी बटालियन हमारे स्वागत में तैनात थी। बाहर कुछ दुकानदार भुट्टा, चिक्की जैसी चीजें रखकर बैठे थे जो लंगूरों को देखने के बाद हमारी खरीदने की हिम्मत न भयी। 

गेट से आगे हम लंगूरों को कनखियाते देखते आगे बढ़े तो  ऊपर बांध पर जाने के दो रास्ते थे पहला सड़क मार्ग से दूसरा सीढ़ियों वाला, हमने सीढ़ियों से ऊपर जाना बेहतर समझा। ऊपर पहुंचने पर सामने विशाल जलसमूह और उसके दो तरफ पहाड़ी, दोनों पहाड़िया प्राकृतिक दीवारों का काम कर रही थी। मौसम अच्छा था तो लगभग आधे घंटे हम बांध पर मनोरम दृश्य निहारते रहे। 


जवाई बांध की ऊँचाई साठ फिट से अधिक है और ये आसपास के क्षेत्रों में पीने और सिंचाई के पानी का मुख्य श्रोत है। वैसे इतना रमणीय स्थान होने के बावजूद सरकार या स्थानीय प्रशासन ने इस जगह पर कोई खास ध्यान नहीं दिया। 

जवाई बांध अजमेर अमदावाद रेल मार्ग पर है इसलिये यहाँ पहुंचना आसान है, नजदीकी स्टेशन का नाम जवाई बांध है जहाँ से बांध की दूरी बमुश्किल दो से तीन किमी है। वैसे यहाँ रात रुकने की जरूरत नहीं है पर अगर रुकना चाहे तो सुमेरपुर में कई अच्छे होटल हैं जो जगह के लिहाज से थोड़े मंहगे जरूर लगे। 

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